Sunday, January 8, 2012






.......चिरागे रौशनी जलाकर बुझा गया कोई ...

.......हसरते चैन ओ करार गवां गया कोई ....

.......की बगावत अपनों संग है उसने ........

.......कैसे सुकून ओ पल तलाशता है कोई .....


        रेणु ..८.१.१२

Thursday, December 15, 2011

पीड़ा ...




मेरी खामोशियाँ अब डसने लगी है 
जो चहकने  को आतुर थी ..
वो आवाज खामोश है ..

ये होंठ अब नहीं हँसते ..
मुस्कुराना भुल गए है .
कंपन है इनमे ...
आवाज खो गई कहीं ..

क्या लौटा पाओगे तुम 
वो हंसी मेरे चेहरे पे ..
वो खुशी  मेरी आँखों मे ...

अब यहाँ सिर्फ दर्द, पीड़ा है 
न भुल सकने की  कसक ..

हाथो की रेखाये  मिटने लगी 
जिनमे लकीरे थी 
अनंत उत्साह ,उल्लास की ...
जिंदगी जीने की  उमग ..

अब सिर्फ गहरी उदासी है ..
एक इन्तजार ..
जो कभी खतम न हो ..
शायद ..!!!!

Sunday, December 4, 2011

आज देव आनंद साहब हमारे बीच नहीं रहें ...


उनके जीवन मे एक वक्त  ऐसा भी आया जब उन्होंने 
इस गाने को अपने दिल के बहुत करीब पाया ओर बखूबी परदे पर निभाया भी ..
उन्ही के उस गाने को प्रस्तुत कर रही हूँ .....



देव साहब को श्रधांजलि ....



दिन ढल जाए हाय, रात ना जाए..
तू तो ना आये तेरी याद सताए..

दिन ढल जाए हाय, रात ना जाए..
तू तो ना आये तेरी याद सताए..

प्यार में जिनके सब जग छोड़ा और हुए बदनाम..
उनके ही हाथों हाल हुआ ये बैठे हैं दिल को थाम..
अपने कभी थे अब हैं पराये..
दिन ढल जाए हाय, रात ना जाए..
तू तो ना आये तेरी याद सताए..
दिन ढल जाए...

ऐसी ही रिमझिम, ऐसी फुहारें, ऐसी ही थी बरसात..
खुद से जुदा और जग से पराये हम दोनों थे साथ..
फिर से वो सावन अब क्यूँ न आये..
दिन ढल जाए हाय, रात ना जाए..
तू तो ना आये तेरी याद सताए..
दिन ढल जाए...

दिल के मेरे पास हो इतने फिर भी हो कितनी दूर..
तुम मुझसे मैं दिल से परेशान, दोनों हैं मजबूर..
ऐसे में किसको कौन मनाये..
दिन ढल जाए हाय, रात ना जाए..
तू तो ना आये तेरी याद सताए..

दिन ढल जाए...!!!

Saturday, November 26, 2011

कीमत .....

         


                                          

तेरे शहर मे आने की कीमत ये चुकाई ......
                दोस्तो को गँवाया हर शय पे मात खाई.......


             
हर दर तेरा अंजान बना.....जो था मेरी खातिर......|
                नई दीवारे लगाकर तुने पहचान छुपाई......


करते थे जिस पे रशक ....वही ले डुबे हमे आज .....
                हर बात पे किया शक , कई तोहमते लगाई......




  बन अनजान  खुश है वो गैरो की महफ़िल  मे ..
                 हमने तो  इन्तजार मे शमा रात भर जलाई ...




  वक्त की डाल से टुटा हुआ लम्हा हूँ आज मै ..
                अब सुख कर चरागे रौशनी है जलाई ....




   या  खुदा रहम कर....तेरी बस्ती के लोगो पर.....
                      अंजान जान मुआफ कर........
                         दुहाई है दुहाई.......




रेनु मेहरा ....<3<3<3