.......चिरागे रौशनी जलाकर बुझा गया कोई ...
.......हसरते चैन ओ करार गवां गया कोई ....
.......की बगावत अपनों संग है उसने ........
.......कैसे सुकून ओ पल तलाशता है कोई .....
रेणु ..८.१.१२
मन चंचल होता है ..कभी यहाँ ..कभी वहां ....एक पल में आसमान पर ..दूजे पल धरातल पर ....इस मन के क्या कहे ....मन तो मन है ...आओ इसके रंगों में डूब जाएँ ...देखे कितने रंग दिखलाता है .....