जो चहकने को आतुर थी ..
वो आवाज खामोश है ..
ये होंठ अब नहीं हँसते ..
मुस्कुराना भुल गए है .
कंपन है इनमे ...
आवाज खो गई कहीं ..
क्या लौटा पाओगे तुम
वो हंसी मेरे चेहरे पे ..
वो खुशी मेरी आँखों मे ...
अब यहाँ सिर्फ दर्द, पीड़ा है
न भुल सकने की कसक ..
हाथो की रेखाये मिटने लगी
जिनमे लकीरे थी
अनंत उत्साह ,उल्लास की ...
जिंदगी जीने की उमग ..
अब सिर्फ गहरी उदासी है ..
एक इन्तजार ..
जो कभी खतम न हो ..
शायद ..!!!!