Sunday, December 4, 2011

आज देव आनंद साहब हमारे बीच नहीं रहें ...


उनके जीवन मे एक वक्त  ऐसा भी आया जब उन्होंने 
इस गाने को अपने दिल के बहुत करीब पाया ओर बखूबी परदे पर निभाया भी ..
उन्ही के उस गाने को प्रस्तुत कर रही हूँ .....



देव साहब को श्रधांजलि ....



दिन ढल जाए हाय, रात ना जाए..
तू तो ना आये तेरी याद सताए..

दिन ढल जाए हाय, रात ना जाए..
तू तो ना आये तेरी याद सताए..

प्यार में जिनके सब जग छोड़ा और हुए बदनाम..
उनके ही हाथों हाल हुआ ये बैठे हैं दिल को थाम..
अपने कभी थे अब हैं पराये..
दिन ढल जाए हाय, रात ना जाए..
तू तो ना आये तेरी याद सताए..
दिन ढल जाए...

ऐसी ही रिमझिम, ऐसी फुहारें, ऐसी ही थी बरसात..
खुद से जुदा और जग से पराये हम दोनों थे साथ..
फिर से वो सावन अब क्यूँ न आये..
दिन ढल जाए हाय, रात ना जाए..
तू तो ना आये तेरी याद सताए..
दिन ढल जाए...

दिल के मेरे पास हो इतने फिर भी हो कितनी दूर..
तुम मुझसे मैं दिल से परेशान, दोनों हैं मजबूर..
ऐसे में किसको कौन मनाये..
दिन ढल जाए हाय, रात ना जाए..
तू तो ना आये तेरी याद सताए..

दिन ढल जाए...!!!

2 comments:

  1. बहुत सुन्दर गाना....वाकई देव साहब बहुत याद आयेंगे.
    अच्छी पोस्ट रेनू जी.

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  2. शुक्रिया विद्या जी ..

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