Monday, May 16, 2011

पिया मिलन की आस ....


मस्त है शाम ये..दिल में एक आस है ..
पिया मिलन की चाह  में ..जोगन उदास है ...

कब आयेंगे  पिया ....मन में सवालात  है ..
जिया आज  अपना  इत  उत्  भरमात है ...

मन हर्षित और उल्लास  है ...
उठते जिया में कई  सवालात  है ...

 पलकें हैं मूंदी ,  जिया हुआ   भारी....
आज पिया को ताकुंगी रात सारी ..


आयेंगे तो गरबा उन्हें  लुंगी आज  लगा ...
न दूंगी जाने फिर कहीं ,  लुंगी मै कहीं  छुपा ..

तभी .. दूर.. भोपू का शोर ....मन  को हर्षात  है..
दरवजे  पे खड़ खड़ का  शोर ...जिया  धड्कात है...

भागी - भागी  ज्यूं  दरवाजे पर जात है ...
सामने पिया का खत फिर वो पात है...

झर झर नीर अंखियन से  फिर जो  बहात  हैं..
ज्यूँ  सागर में लहरें ...मचल-मचल  जात है ..

खत में लिखा है ..." न आ पाउँगा प्रिये ..".
न तकना राह मेरी ...कुछ न लिख  पाउँगा प्रिये ...

आज  पिया को तेरे ..देश ने पुकारा है ...
माँ के दूध को दुश्मन ने  ललकारा है ....

सरहद पार जो बैठा है दुश्मन ताक  में
उसके सीने को छलनी करने जाऊंगा ..

हो सका तो लौट के प्रिये ..मै फिर आऊंगा ..
हो सका तो लौट के प्रिये ..मै फिर आऊंगा ...

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***रेनू मेहरा ***                                

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