फिर तेरी याद चली आयी है ..
वो तेरे संग हंसना , मुस्कुराना ,
नगे पग बारिशो में दौड़ जाना ,
तेरा लपककर हाथ पकड लेना ,
और लटो से बूंदों का टपटपाना ,
दूर तलक हाथ में लिए हाथ ..
सड़क पर निकल जाना ....
याद आ रहा है आज वो सब ....
मंजर हंसी यादो का ..
सफर जो रह गया अधूरा
तेरे कहे वो शब्द ...
आज भी मेरे कानो में गूंजते हैं ..
"नहीं तोड़ेंगे ये दोस्ती ...
चाहे हम टूट जाएँ ..".
पर आज् टूटे हुए हैं मन .
और ये दोस्ती भी ...
कहाँ गुम हो गए सब ..
कोई दीखता भी नहीं ...
लौट आओ फिर से वापिस ...
के एक हो जाएँ सब ...
रहें मिल जुल के ...
रहते थे पहले कभी ....
आओ वापस आ जाओ ...
---रेनू मेहरा ...
No comments:
Post a Comment