बहुत याद आ रही है तू प्यारी सखी
कैसे भूली तू मुझको बता री सखी ...
कितना हसीं था न वो मासूम बचपन हमारा ...
तितलियों के पीछे वो भगना-भागना हमारा ..
चुरा के जो अमरुद तुने खिलाए ..
आज हमको वो सब बहुत याद आये ...
तेरा वो चुपके से घर पर आ जाना ..
माँ को बहला कर .मुझे लेके जाना ..
संग खूब वो मस्ती भरे दिन बिताए ...
आज हमको वो सब बहुत याद आये ...
जो मै होती , तो होती तू भी उदास ...
संग मेरे तेरी भी आँखों में आंसू जो आये ...
आज हमको वो सब बहुत याद आये ...
कॉलेज में जब सहमी सी जाती ...
पकड़ हाथ मेरा तू हिम्मत दिलाती ..
जो संग थी तू तो डर नहीं था कोई ...
आज फिर से अकेली खड़ी हू रोई ...
तेरे यादो के साये मुझे हैं रुलाये ..
आज हमको वो सब बहुत याद आये ...
तेरी यादे है अब मेरे पास बाकी
वो हसींन पल और वो हंसी खिलखिलाती ...
तू जहाँ भी रहे बस यही है दुआ मेरी ..
याद रखना मुझे अपनी यादो में कहीं ...
न भुलाना कभी अपने मन से मुझे
तू हमेशा रहेगी खुशबु बनके मेरी ...
(मेरी प्यारी सखी मीरा के नाम ...)
---रेनू मेहरा ....
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