न तस्वीर है
ना आवाज है .....
अब क्या करें
कुछ भी नहीं पास है ....
तड़प रहे है हम तो
उनकी जुस्तजू मे......
और वो है की बे ... खयालात हैं
कैसे बदल जाते है रिश्ते
एक ही पल में रिसते..दूजे पल का पता नहीं
और उम्र भर के किस्से ..
कहते थे की दुनिया वालो से
टकरा जायेंगे हर हद तक ....
जब मौका आया वो पलटे इस कदर..
जैसे न थी उन्हें कोई खबर ....
दुनिया बनायीं तुने ऐ उपर वाले ..
सुंदर जिस्म और दिमाग दिया......
जज्बातों से खेलने का भी तुने ही इख्तियार दिया
एक नन्हा सा दिल जो दिया है
गम के लिए क्या वो काफी है ..???
इस नन्हे से दिल में ..
"खुशिया".. भी तो समानी बाकी है.......
"खुशिया".. भी तो समानी बाकी है.......
---रेनू मेहरा
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