मन चंचल होता है ..कभी यहाँ ..कभी वहां ....एक पल में आसमान पर ..दूजे पल धरातल पर ....इस मन के क्या कहे ....मन तो मन है ...आओ इसके रंगों में डूब जाएँ ...देखे कितने रंग दिखलाता है .....
Wednesday, November 23, 2011
नभ नील गगन सुंदर है जग सुंदर है ये मेरी धरा ....
प्रकृति ने फैलाई है चहुँ और अद्भुत छटा ...
मुख मन तन अंतर सुंदर जो बन पाये मानव का
स्वर्ग यही है ...स्वर्ग यही है ... कहें सब लोग ...
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