Wednesday, November 23, 2011

बनाया एक आशियाना ...
ईंट ओर पत्थरों से ....


तेरे आने से महका ..
मेरा बागबान ...


प्यार से सहेजा तुमने
इस बगिया को ...


सजाया गुलशन है ...
प्यारे नन्हे फूलो से ...


जो है हमारे ही अंश ...
बन छायाधार वृक्ष
तुम देना छाया सबको ....


मेरा घर महका देना .
तुम अपनी खुशबु से ....


--रेनू ..०५.१०.२०११

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