ज़िदगी की उलझनों को सुलझा रहे हैं ..
कभी हम उसमे .....
कभी वो हम मे ..
उलझते जा रहें हैं ...
वक्त का पहिया कुछ ऐसा घुमा ...
के सब उसी संग घुमे जा रहे हैं ....
कोई कहता की शोहरत की चाह होगी
नए नए रंग दिखला रहे हैं ...
ये वक्त का तकाजा है प्यारे ...
वर्ना ज़िदगी तो सभी जिए जा रहे हैं ...
जो कर सको तो भला करना ..
न् किसी का बुरा करना ...
ये वक्त आज तेरा है ...
तो कल ये मेरा होगा ...
किस करवट ऊंट बैठ जाए ...
अब तो ये देखना होगा ...
........
कभी हम उसमे .....
कभी वो हम मे ..
उलझते जा रहें हैं ...
वक्त का पहिया कुछ ऐसा घुमा ...
के सब उसी संग घुमे जा रहे हैं ....
कोई कहता की शोहरत की चाह होगी
नए नए रंग दिखला रहे हैं ...
ये वक्त का तकाजा है प्यारे ...
वर्ना ज़िदगी तो सभी जिए जा रहे हैं ...
जो कर सको तो भला करना ..
न् किसी का बुरा करना ...
ये वक्त आज तेरा है ...
तो कल ये मेरा होगा ...
किस करवट ऊंट बैठ जाए ...
अब तो ये देखना होगा ...
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