Wednesday, November 23, 2011

फेस बुक ...



है निराली सुहानी
ये जगह
लगे घर कभी ..
कभी लगे खाली 
ये जगह ...


मिलते दोस्त यहाँ 
कितने ही
कुछ होते खास ..
कुछ होते दिल
के करीब भी ...


कोई बहन है बनाता ..
कोई भाई बन जाता ...
कोई दोस्त तो
कोई ताऊ कहलाता ...


हर रूप देखा यहाँ ..
हर रंग देखा ...


लोगो के जीने का
भी ढंग देखा ...


कोई इतना करीब आता
जीने का अंदाज सीखाता


कभी कोई गम ऐसा दे जाता
के आँखों मे आंसू भर जाता ...


करके कटाक्ष  अपनी
रचनाओं मे लोगो की
वाह वाही पाता....


अजीब से रिश्ते उलझते देखे...
दोस्त भी दुश्मन बनते देखे ...


डर लगता है कई बार
के न हो फिर कोई दोस्त के
भेष मे दुश्मन ...


एक शख्स बदल देता है ..
लोगो के जीने का ढंग ....


बहुत अच्छी भी है 
ये जगह
तो खराब भी लगे ...
पर क्या करे ..


फिर भी दोस्त है यहाँ
जिनसे जीने की भी 
राह मिले ...


२२.११.११.

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