Wednesday, November 23, 2011

वो चुप हैं के कोई आहट न होने पाये ...
उनके दिल की धडकन न कोई सुनने पाये ....


हैं तन्हाइयों से लिपटे वो इस कदर ...
के महफ़िल मे खुद को तनहा पाये .....


रेनू ...०३/१०/२०११०




हर आहत पे लगता है ..
तू है यही कहीं ...


दम भर जो तुझे देखू ...
कहीं मर ही न् जाऊ ....


दिल बहुत संभाला ..
संभल नहीं पाया ...


तेरी एक झलक को ..
मचल मचल जाऊं ...


तेरा दीदार ही अब सबब है जीने का ...
कहीं उसे पहले ही मै न् गुजर जाऊ ...


रेनू ...०३/१०/२०११

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