Wednesday, November 23, 2011

जिंदगी ....

जिंदगी ....

जिंदगी क्या है ...
एक फलसफा है ...
कभी रंजो गम मे डूबा ...
कभी खुशियों का दरिया है ...

कभी लगे सब पा लिया ...
कभी कुछ न् होने का गम है ...

जीवन जी लिया अपने मन से ...
जो दूजो का न् हो सका ..
वो भी क्या जीवन है ...

सुखी रेत ..कभी मरुस्थल लगे ..
न सावन ..न भादों लगे ...
गहरे दुखो का भंवर लगे ...

सिमरन उस प्रभु का करें ...
वोही सबका आसरा लगे ...

पल मे किस्मत बदल दे जो ..
हर पल इंसान को दरस दे जो ...
वोही एक महामाया है ...

उसी की हम सब पे
छाया है ...
अब तो सिमरन उस प्रभु का है ...

मन मे सिर्फ वोही बसा है ...
हरी ओम ...हरी ओम...

रेनू मेहरा .....१३/१०/११

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