लिखी चिठ्ठी उसने ....
सबको पैगाम भेजा ...
खत मे सबको दुआ - सलाम भेजा ..
न् भेजा तो मुझे कुछ भी ...
न दुआ न ऐहतराम भेजा ...
पते मे लिखा सबका नाम ...
मेरा नाम ही गुम था उसमे ...
मायूस हो उठी मै कई मर्तबा ...
जब न् देखा अपना नाम उसमे ...
न आया उनका कोई खत...
न उनका सलाम आया ...
हर बार सोचा के
अब शायद कहीं
मेरा जिक्र आया ...
कुछ नहीं था मेरी खातिर ..
चंद टुकडो मे भी न
मेरा नाम आया ..
फिर भी ...मेरे दोस्त
जाने क्यों मेरी ही जुबा पे
हरदम उसका नाम आया ....
रेनू ..४/१०/११
सबको पैगाम भेजा ...
खत मे सबको दुआ - सलाम भेजा ..
न् भेजा तो मुझे कुछ भी ...
न दुआ न ऐहतराम भेजा ...
पते मे लिखा सबका नाम ...
मेरा नाम ही गुम था उसमे ...
मायूस हो उठी मै कई मर्तबा ...
जब न् देखा अपना नाम उसमे ...
न आया उनका कोई खत...
न उनका सलाम आया ...
हर बार सोचा के
अब शायद कहीं
मेरा जिक्र आया ...
कुछ नहीं था मेरी खातिर ..
चंद टुकडो मे भी न
मेरा नाम आया ..
फिर भी ...मेरे दोस्त
जाने क्यों मेरी ही जुबा पे
हरदम उसका नाम आया ....
रेनू ..४/१०/११
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