Wednesday, November 23, 2011

पैगाम ...

लिखी चिठ्ठी उसने ....
सबको पैगाम भेजा ...
खत मे सबको दुआ - सलाम भेजा ..


न् भेजा तो मुझे कुछ भी ...
न दुआ न ऐहतराम भेजा ...


पते मे लिखा सबका नाम ...
मेरा नाम ही गुम था उसमे ...


मायूस हो उठी मै कई मर्तबा ...
जब न् देखा अपना नाम उसमे  ...


न आया उनका  कोई खत...
न  उनका सलाम  आया ...


हर बार सोचा के
अब शायद कहीं
मेरा जिक्र   आया ...


कुछ नहीं था मेरी खातिर ..
चंद टुकडो मे भी न
मेरा  नाम आया ..


फिर भी ...मेरे दोस्त
जाने क्यों मेरी ही जुबा पे
हरदम उसका नाम आया ....


रेनू ..४/१०/११

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