बनके खुश्बु हवाओ मे जो फैली थी सुगंध ..
आज वो आँखों मे जलन का एहसास कराती है ..
जिन रिश्तों मे थी मिठास गुड की ...
आज कसेला सा स्वाद लिए आती है ...
अपने को ऊँचा रखने की जिद ..
किसी और को छोटा किये जाती है ...
दामन अपना बचाने को ...
किसी और के दामन मे कीच
उछाली जाती है ....
रेनू ३/११/११
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