Wednesday, November 23, 2011

जब भी निकली घर से बाहर ..
देखा तुझे गली के  नुक्कड़ पर ..


मेरे घर के तो दरवाजे खुले थे ..
पर तुने ही बंद किया हर दर ....


यहाँ वहाँ ..सब जगह ..
है तेरा आना जाना ..


जिस दर को पूजा तुने मंदिर
वोही हुआ आज तेरे लिए बेगाना ...


पत्थरों मे भगवान् पूजा ...
नर मे न् ढूंड पाया इंसान ...


कैसी हुई तेरी मति ...
न नर मिला न भगवान ....


रेनू मेहरा ...
October 1 ,2011

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