जब भी निकली घर से बाहर ..
देखा तुझे गली के नुक्कड़ पर ..
मेरे घर के तो दरवाजे खुले थे ..
पर तुने ही बंद किया हर दर ....
यहाँ वहाँ ..सब जगह ..
है तेरा आना जाना ..
जिस दर को पूजा तुने मंदिर
वोही हुआ आज तेरे लिए बेगाना ...
पत्थरों मे भगवान् पूजा ...
नर मे न् ढूंड पाया इंसान ...
कैसी हुई तेरी मति ...
न नर मिला न भगवान ....
रेनू मेहरा ...
October 1 ,2011
देखा तुझे गली के नुक्कड़ पर ..
मेरे घर के तो दरवाजे खुले थे ..
पर तुने ही बंद किया हर दर ....
यहाँ वहाँ ..सब जगह ..
है तेरा आना जाना ..
जिस दर को पूजा तुने मंदिर
वोही हुआ आज तेरे लिए बेगाना ...
पत्थरों मे भगवान् पूजा ...
नर मे न् ढूंड पाया इंसान ...
कैसी हुई तेरी मति ...
न नर मिला न भगवान ....
रेनू मेहरा ...
October 1 ,2011
Bahut aachha...
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