Wednesday, November 23, 2011

बाद मुद्दत के निकली 
बात महफिल मे....
वो न आए तो क्या....
जिक्र तो उनका ही है.....




जो तुने पता लेना छोङ दिया.....
हवाओ ने भी रुख अपना मोङ लिया.....




है नाज़ तेरी अदाओ पर.....
है फक्र तेरी वफाओ पर.....
तेरी बेफिक्री न रास आई मुझे ....
घुट रही सांसे इन मस्त फिजाओं मे ...




तेरे अक्स से बेजार हुए मुद्दत गुज़र ग ई.....
फिर भी क्यूँ लगे तू है यहीं कही......




कहते हैं के गुजरा वक्त वापस नहीं आता ....
तो यादो के साये क्यूँ लौट के आ जाते हैं ....
क्यूँ नहीं ये तनहा छोड़ जाते हमें इन राहों मे ...
बस ये ही क्यूँ पलट के आते  हैं ...(यादे )..




बैठे हैं इंतजार मे सहर के होने तक.....
झलक भर तेरी... मेरा नसीब बन जाऐ......




करके वादे युँ मुकर जाते हैं लोग.....
नये आशियाने सजा लेते हैं लोग.......
जिन गलियो में था आना जाना हरदम.....
उन्ही पे खाक उङा जाते हैं लोग.......


दिल मे अरमानो मे सजा रखे  है......
तेरी यादो के मखमली पैबंद......




माना कि तेरे चाहने वाले हैं हजार यहाँ.......
पर मुझ सा न होगा कभी तेरी किस्मत में........


तेरी बेवफाई ने इस कदर जकङा .....
के अब वफा से डर लगता है..


माना के तू बेवफा नहीं ..
पर निभाई तो तुने वफ़ा भी नहीं ..
इल्जाम लगाकर मुझपे रुसवाई का ..
तू खुद रहा बेमुरवत कहीं ...


तेरे ख्याल मे गुजरते हैं मेरे दिन ओ रात 
एक तू ही बेखबर रहा 
मेरे ख्याल से ....


जो इंसा रब हो गया ..
तो खुदा जाने क्या होगा ..
खुदा खुद जमीं पर ....
ओर इंसान आसमाँ पे होगा ..

4 comments:

  1. excellent collection of thoughts renu....

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  2. शुक्रिया गाँधी राज जी ..
    आपका हार्दिक स्वागत है राज ..
    थैंक्स ...

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