मन चंचल होता है ..कभी यहाँ ..कभी वहां ....एक पल में आसमान पर ..दूजे पल धरातल पर ....इस मन के क्या कहे ....मन तो मन है ...आओ इसके रंगों में डूब जाएँ ...देखे कितने रंग दिखलाता है .....
वाह क्या अंदाज़ है....
हा हा हा ...शुक्रिया विद्या जी ..आप तो खुद कमाल की लेखिका है ..
वाह क्या अंदाज़ है....
ReplyDeleteहा हा हा ...शुक्रिया विद्या जी ..
ReplyDeleteआप तो खुद कमाल की लेखिका है ..