रस्ते वीरान , सफर तनहा ..
लोगो का यूँ मिलना बिछडना ...
रास आया नहीं हमको ये सफर ..
हम भी रहें यहाँ तनहा तनहा ....
खूबियां जो थी तेरे गुलशन की ..
नहीं नजर आती अब मुझे ....
सब सुखा बेजान दीखता है ..
नही है रस रहा फूलो मे ...
तेरे बागबान मे माली न रहा ...
तू है सुखा पत्ता ...टुटा सा ...
जो था गुलशन तेरा महका महका ...
मेरे बिन अब वो सुना रहा ...
रेनू मेहरा .....०३/१०/२०११
लोगो का यूँ मिलना बिछडना ...
रास आया नहीं हमको ये सफर ..
हम भी रहें यहाँ तनहा तनहा ....
खूबियां जो थी तेरे गुलशन की ..
नहीं नजर आती अब मुझे ....
सब सुखा बेजान दीखता है ..
नही है रस रहा फूलो मे ...
तेरे बागबान मे माली न रहा ...
तू है सुखा पत्ता ...टुटा सा ...
जो था गुलशन तेरा महका महका ...
मेरे बिन अब वो सुना रहा ...
रेनू मेहरा .....०३/१०/२०११
वाह कमाल....ये हुई ना बात.
ReplyDelete"जो था गुलशन तेरा महका महका ...
मेरे बिन अब वो सुना रहा ..."
shukriya dost ...vidya ...
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